Wednesday, July 27, 2011

Meanderings Self

"कही जगहों से निकलती है यह सुमसाम गलिया
कही दिशाओ में मिलती है यह सुमसाम गलिया
कही मोड़ पर गुमनाम हो जाती है यह गलिया
कही मुकाम पर आबाद हो जाती है यह गलिया
फिर भी एक मुसाफिर की इक्तिज़ा करती है यह गलिया
इस ही ख्याल में, कही नाज़िश न खो जाये "

Conquer of Paradise

सितारों से सजाया है उमीद का दामन
रातो को सजाई है कही सुरजो का अमन
ख्वाइश से भर आई है अखियो में सावन
सर तबी जिंदादिली पर एतबार हुआ है हमें
जब से मिला है हम-साज़ इह्तियाज..

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Ethical and Moral Construct of Modern